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जवाहरलाल नेहरू के फैसले ने भारतीय क्रिकेट को ICC सदस्यता खोने से बचाया

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जब जवाहरलाल नेहरू ने अपना फैसला लिया तो भारतीय क्रिकेट को ICC सदस्यता खोने से बचाया।


जब जवाहरलाल नेहरू के फैसले ने भारतीय क्रिकेट को ICC सदस्यता खोने से बचाया

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की सदस्यता खोने से बचाने में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के फैसले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस फैसले के बाद से भारतीय क्रिकेट ने अपनी गति बढ़ाई है और विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई है।

1951 में जब भारतीय क्रिकेट टीम ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय मैच खेली, तब उसकी सदस्यता ICC की नहीं थी। इसके बावजूद, भारतीय क्रिकेट टीम ने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाते हुए अन्य देशों के साथ मैच खेलना शुरू किया।

हालांकि, 1952 में ICC ने नई सदस्यता नियम लागू किए और भारतीय क्रिकेट को सदस्यता के लिए आवेदन करने की मांग की। इसके बाद भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा सवाल उठ गया कि क्या वह इस नए नियम के अनुसार सदस्यता प्राप्त कर पाएगी या नहीं।

इस संकट के समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को ICC की सदस्यता खोने से बचाने के लिए अपनी सहमति दी। इस फैसले के बाद से भारतीय क्रिकेट टीम ने ICC के सदस्य के रूप में अपनी पहचान बनाई और विश्व क्रिकेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जवाहरलाल नेहरू के इस फैसले ने भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी है और उसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त करने में मदद की है। इससे न केवल भारतीय क्रिकेट के प्रगति में वृद्धि हुई है, बल्कि यह भारत के खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण मौका भी बना है।

इस फैसले के बाद से भारतीय क्रिकेट ने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है और विश्व क्रिकेट में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भारतीय क्रिकेट टीम विश्व के मशहूर खिलाड़ियों के साथ मुकाबला कर रही है और उन्हें गर्व का एहसास करवा रही है।

इस फैसले के बाद से भारतीय क्रिकेट ने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है और विश्व क्रिकेट में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भारतीय क्रिकेट टीम विश्व के मशहूर खिलाड़ियों के साथ मुकाबला कर रही है और उन्हें गर्व का एहसास करवा रही है।


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